खलल पड़ता है ।
उसे मेरे ख्वाब में आने में खलल पड़ता है ,
चाँद , तारे सब पागल है अँधेरे में निकल पड़ता है ।
उसकी आँखों में मैंने देखा है नशा प्यार की ,
दिल ही तो है कभी भी मचल पड़ता है ।
तुम्हें याद करते करते इन आँखों से भी आंसू
कही भी ,कभी भी निकल पड़ता है ।
उसकी आँखों से कभी आँखे तो मिलाओ
दिन भी कभी कभी रातो में बदल पड़ता है ।
:-हसीब अनवर