खलनायक का अंत
✒️?जीवन की पाठशाला ?️
जीवन चक्र ने मुझे सिखाया की ये कलयुग है यहाँ सच्चे इंसानों को धोखे और सिर्फ धोखे मिलते हैं -अनगिनत अग्नि परीक्षाओं से गुजरना पड़ता है -बहुत कुछ पीना पड़ता है और झूठे लोगों को यहाँ बेहिसाब मौके मिलते हैं -वो अपने झूठ -फरेब -साजिशों को बड़े आराम से खुले आम बेधड़क बेचता है ….पर इतिहास गवाह है की खलनायक का अंत कैसा होता है ….,
जीवन चक्र ने मुझे सिखाया की इंसान को मेहनत हमेशा हाड तोड़ मजदूरों वाली मगर स्मार्ट करनी चाहिए और अपना मुकाम एवं तेवर एक बादशाह की तरह बनाना और रखना चाहिए की हर कोई ना छू पाए …,
जीवन चक्र ने मुझे सिखाया की इतिहास गवाह है की अक्सर सास अपनी बहु को ताना मारती हैं की ढंग से -तरीके से -सलीके से रहो -ध्यान रहे ये तुम्हारी माँ का घर या तुम्हारा मायका नहीं ससुराल है ,पता नहीं क्यों सास ये भूल जाती हैं की ये ही बात तो उन पर भी लागू होती है …,
आखिर में एक ही बात समझ आई की जब वक़्त आपके साथ /आपके पक्ष का होता है तो मन ही मन आपसे ईर्ष्या रखने वाले भी ऊपर से ही सही आपको पसंद करते हैं और जब आपके खिलाफ /विपरीत होता है तो एक समय बाद आपको चाहने वाले भी आपको बोझ समझने लगते हैं -जुबान दराजी करने लगते हैं -आपको राह दिखने लगते हैं बल्कि मन ही मन आपसे नफरत तक करने लगते हैं …सही कहा है कहने वाले ने की बुरे वक़्त में तन का कपडा भी साथ छोड़ने लगता है …..!
बाक़ी कल , अपनी दुआओं में याद रखियेगा ?सावधान रहिये-सुरक्षित रहिये ,अपना और अपनों का ध्यान रखिये ,संकट अभी टला नहीं है ,दो गज की दूरी और मास्क ? है जरुरी …!
?सुप्रभात?
स्वरचित एवं स्वमौलिक
“?विकास शर्मा’शिवाया ‘”?
जयपुर-राजस्थान