खर्च का बोझ
जबसे समाज में है फोन का चलन हुआ,
नया एक खर्च हमें पड़ता है झेलना।
कि कभी पेट्रोल, गैस, बिजली का बिल भरो,
जल भी पियो तो अब पड़ता खरीदना।
पहले न खर्च का ये बोझ हुआ करता था,
रोज महँगाई का है आजकल सामना।
पहले सरलता से चलता था घर-बार,
पड़ता नहीं था इसे रोज ही ढकेलना।
– आकाश महेशपुरी
दिनांक- 24/11/2021