खरी खरी बातें..
खरी खरी बात
हम तो जब भी बोलते हैं,
खरी खरी बोलते हैं,
अपने मन में कुछ नहीं रखते हैं,
ये वाली बात सुनने तक ही,
अच्छी लगती है,
कौन सोचता है,
कि ये किसी पर क्या असर करते हैं.
जब सुनाना हो, तो,
ये तरिका सही लगता है..
मगर जब सुनने की बारी,
यही बातें, तीर से भी, तेज चुभते है.
खैर, ये सब, बहुत अजीब है,
अपनी अपनी समझ की बात है,
बुरा हमें और किसी को, एकसा,
ही लगता है,
खरी खोटी के चक्कर में क्यों पडे.?
बस, थोड़ा सा, तोल मोल लें,
फिर ही, किसी, से कुछ कहें.