Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
19 May 2022 · 4 min read

*खराब आदत 【कहानी】*

खराब आदत 【कहानी】
■■■■■■■■■■■■■■■■■■■
“हर समय पंखा और ट्यूब-लाइट बंद ही करती रहती हो । घर में और सब लोग एयर-कंडीशनर का चौबीस घंटे प्रयोग करते हैं जबकि तुम उसे भी बंद रखती हो ?” -पतिदेव ने नाराजगी दिखाते हुए नव-विवाहिता से कहा।
” यह आप कैसी बातें कर रहे हैं ? हमारी तो बचपन से आदत यही है कि ए.सी. का कम से कम इस्तेमाल करना है। पंखा तथा बत्ती जब जरूरत न हो ,तब बुझा देना चाहिए ।”
“लेकिन हमारे यहाँ और तुम्हारे मैके में फर्क है । हमारे यहाँ बिजली का बिल नहीं जाता ।”-पति ने रहस्यपूर्ण ढंग से जब यह कहा तो नवविवाहिता सोच में डूब गई ।
“क्या सोच रही हो ? बिजली का इस्तेमाल दिल खोलकर करो और आनंद से रहो ।”-पति ने सलाह दी और नौकरी के लिए दफ्तर चले गए ।
इस बात को सुनकर नवविवाहिता आश्चर्य में डूबी थी । उसकी समझ में नहीं आ रहा था कि वह अपनी आदतें कैसे बदल पाएगी और फिर आदतें बदलने की भला जरूरत ही क्या थी ? बिजली का अनावश्यक खर्च कोई कैसे उचित ठहरा सकता है ? बर्बादी सब प्रकार से अनुचित है । इन्हीं सब विचारों के सागर में नववधू डूबती-उतराती जा रही थी ।
तभी मैकै से टेलीफोन आया । उधर से नवविवाहिता की माँ कह रही थीं ” कल रात हमारे मोहल्ले में बिजली की चेकिंग हो रही थी । पूरे मोहल्ले में लोग जाग गए थे। हाहाकार मचा हुआ था ।”
नवविवाहिता ने अपनी माँ से तुरंत पलटकर पूछा “तो तुम्हें डरने की क्या जरूरत ? तुम तो कोई गलत काम नहीं करती हो ?”
” मैं अपनी बात नहीं कह रही हूँ। हम लोग तो हमेशा से बिजली के कम खर्च में जीवन-यापन करने के आदी रहे हैं । कोई ए.सी. की आदत नहीं। तुम्हारे पिताजी ने यही बताया है कि पंखा और ट्यूबलाइट आराम से प्रयोग में आता रहे ,बस इतना काफी है । हाँ ! इतना जरूर है कि एक ए.सी. जब रुपए जुड़ जाएँगे तो जरूर खरीदेंगे और उसके लिए बिजली का खर्चा भी वहन करना ही होगा ।”-माँ ने दृढ़ता-पूर्वक घर के भीतर चल रही उधेड़बुन को बेटी के सामने रखा । फिर इधर-उधर की काफी बातें होती रहीं। तत्पश्चात दोनों ने टेलीफोन रख दिया ।
नवविवाहिता अब इस चिंता में थी कि ससुराल में तो बिजली की अंधाधुंध चोरी हो रही है ।अगर कहीं चेकिंग हो गई तो क्या होगा ? जब शाम को दफ्तर से पति आए तो नवविवाहिता ने उनसे अपने दिल की यही बात रखी – “अगर चेकिंग हो गई तो क्या होगा ? कभी इस बारे में भी सोचा है?” – पति रहस्यपूर्ण ढंग से मुस्कुराए और बोले “चेकिंग वाले सिर पटक कर मर जाएँगे लेकिन बिजली की चोरी नहीं पकड़ सकते।”
“तो क्या घर में सात-सात ए.सी. पकड़ में नहीं आएँगे ?”
“कदापि नहीं ।”पति ने दृढ़ता से उत्तर दिया ।
समय की मार देखिए ! उसी रात को बिजली की चेकिंग के लिए विभाग वाले आ गए । आज पुलिस उनके साथ थी ,इसलिए किसी की विरोध करने की हिम्मत नहीं हो रही थी । उल्टा-सीधा आरोप बिजली विभाग वालों पर लगा देने की जो आदत पुरानी चली आ रही थी, अब वह भी काम नहीं आ पाई । नव-विवाहिता के पतिदेव बेफिक्री के साथ मोहल्ले में पुलिस वालों को बिजली चेकिंग के लिए आते हुए देखते रहे। वह निश्चिंत थे । विभाग वालों ने मीटर के पास जाकर तारों को देखा और उसके बाद संतुष्ट होकर आगे बढ़ गए।
पति ने चैन की सा्ँस ली लेकिन यह सकून केवल कुछ मिनट ही कायम रहा। चेकिंग वाली टीम मोहल्ले से बाहर निकलने से पहले ही वापस आ गई और उसने गली की खुदाई शुरू कर दी। बदहवास स्थिति में पतिदेव दरवाजा खोल कर घर से बाहर आ गए और अपने सिर के बाल नोंचने लगे ।
कुछ ही मिनटों में सारी पोल खुल गई । जमीन के नीचे जो बिजली के तार जा रहे थे ,उनमें कट लगाकर घर के अंदर बिजली ले जाई जा रही थी । चोरी की बिजली थी। विभाग ने तुरंत मामला नोट कर लिया । इस तरह से जमीन के अंदर तारों में कट लगाकर चोरी के मामले मोहल्ले में और भी पकड़े गए।
विभाग वालों ने प्रेस-वालों को बताया कि यह लोग बिजली की चोरी करने के लिए जमीन खोदते हैं । उसके बाद जमीन के अंदर पड़े हुए तारों में कट लगाकर अपने-अपने घरों में बिजली के कनेक्शन ले जाते हैं। तदुपरांत जमीन को फिर सीमेंट अथवा टाइल से सुंदर बना दिया जाता है ताकि किसी को कोई शक न होने पाए।
जब सुबह हुई तो नवविवाहिता ने देखा कि पूरे घर में मातम पसरा हुआ था। घर में लगे हुए सातों ए.सी. एक-एक करके उतार दिए गए और फिर उन्हें ठेले पर रखकर बेचने के लिए कहीं ले जाया जाया गया। दोपहर में बहू ने अपनी आदत के मुताबिक बरामदे का पंखा बंद करके जब कमरे की ओर प्रस्थान किया तो पतिदेव ने मुरझाए हुए मुख के साथ कहा “तुम्हारी आदत सही थी । हमारी तो आदत ही खराब हो गई है ।”
—————————————————-
लेखक : रवि प्रकाश, बाजार सर्राफा
रामपुर( उत्तर प्रदेश )
मोबाइल 99976 15451

Language: Hindi
150 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from Ravi Prakash
View all
You may also like:
ईश्वर के सम्मुख अनुरोध भी जरूरी है
ईश्वर के सम्मुख अनुरोध भी जरूरी है
Ajad Mandori
यूं ही कोई शायरी में
यूं ही कोई शायरी में
शिव प्रताप लोधी
धुन
धुन
Sangeeta Beniwal
होली
होली
डॉ नवीन जोशी 'नवल'
परोपकार
परोपकार
ओंकार मिश्र
कैद है तिरी सूरत आँखों की सियाह-पुतली में,
कैद है तिरी सूरत आँखों की सियाह-पुतली में,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
मन के वेग को यहां कोई बांध सका है, क्या समय से।
मन के वेग को यहां कोई बांध सका है, क्या समय से।
Annu Gurjar
पितरों का लें आशीष...!
पितरों का लें आशीष...!
मनोज कर्ण
सितमज़रीफ़ी
सितमज़रीफ़ी
Atul "Krishn"
जीवन में संघर्ष सक्त है।
जीवन में संघर्ष सक्त है।
Omee Bhargava
ज़िंदगानी
ज़िंदगानी
Shyam Sundar Subramanian
दोहा बिषय- दिशा
दोहा बिषय- दिशा
राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'
मुनाफे में भी घाटा क्यों करें हम।
मुनाफे में भी घाटा क्यों करें हम।
सत्य कुमार प्रेमी
पोषित करते अर्थ से,
पोषित करते अर्थ से,
sushil sarna
3747.💐 *पूर्णिका* 💐
3747.💐 *पूर्णिका* 💐
Dr.Khedu Bharti
जब भी सोचता हूं, कि मै ने‌ उसे समझ लिया है तब तब वह मुझे एहस
जब भी सोचता हूं, कि मै ने‌ उसे समझ लिया है तब तब वह मुझे एहस
पूर्वार्थ
"नजर से नजर और मेरे हाथ में तेरा हाथ हो ,
Neeraj kumar Soni
गजल सगीर
गजल सगीर
डॉ सगीर अहमद सिद्दीकी Dr SAGHEER AHMAD
मतदान जरूरी है - हरवंश हृदय
मतदान जरूरी है - हरवंश हृदय
हरवंश हृदय
बच्चे
बच्चे
Dr. Pradeep Kumar Sharma
राष्ट्र हित में मतदान
राष्ट्र हित में मतदान
लक्ष्मी वर्मा प्रतीक्षा
ना जाने क्यों जो आज तुम मेरे होने से इतना चिढ़ती हो,
ना जाने क्यों जो आज तुम मेरे होने से इतना चिढ़ती हो,
Dr. Man Mohan Krishna
अगर प्रेम है
अगर प्रेम है
हिमांशु Kulshrestha
अनुभव 💐🙏🙏
अनुभव 💐🙏🙏
तारकेश्‍वर प्रसाद तरुण
दर्द ना अश्कों का है ना ही किसी घाव का है.!
दर्द ना अश्कों का है ना ही किसी घाव का है.!
शेखर सिंह
*किसकी है यह भूमि सब ,किसकी कोठी कार (कुंडलिया)*
*किसकी है यह भूमि सब ,किसकी कोठी कार (कुंडलिया)*
Ravi Prakash
ओ अच्छा मुस्कराती है वो फिर से रोने के बाद /लवकुश यादव
ओ अच्छा मुस्कराती है वो फिर से रोने के बाद /लवकुश यादव "अज़ल"
लवकुश यादव "अज़ल"
#चिंतनीय
#चिंतनीय
*प्रणय*
"समरसता"
Dr. Kishan tandon kranti
मुझे जीना सिखा कर ये जिंदगी
मुझे जीना सिखा कर ये जिंदगी
कृष्णकांत गुर्जर
Loading...