खत में – डी के निवातिया
खत में
खत में उसने मुझे खतावार लिखा,
ऐसा इक बार नहीं कई बार लिखा !
बेवफा नहीं कह सकता उसे हरगिज़,
गिले में हर दफा उसने प्यार लिखा !
कैसे न करू ऐतबार उसकी बातों का,
हर दफा मुझे अपना दिलदार लिखा !
कई बार हुआ मनमुटाव दरमियान
पर कभी न उसने फरेबी यार लिखा !
पूछता जब कोई जिंदगी का फ़साना,
संग गुजारे लम्हों को नौबहार लिखा !
जब उठाई उंगली रिश्ते पर दुनिया ने,
हर दफा अपना दिल निगार लिखा !
बात जब चली वफ़ा-ऐ- इश्क की यारो,
हमें दिल फेंक आशिक जां निसार लिखा !!
!
डी के निवातिया