खत मोहब्बत के
कुछ रूह से उतर गए कुछ रूह में बस गए
कुछ ऐसे थे जो आप जैसे बन गए
ओर अपनी मोहब्बत का इज़हार कर गए
चाह कर भी वो कुछ ऐसा कर गए
कि अपने दिल की बात दिल मे रख पाए
ओर बेकसी में सब कुछ बयां कर गए
काश जंग इज़हारे इश्क़ की इतनी आसान होती
बिना कुछ कहे सब कुछ सामने आ जाए
कवि का जनून है ये इश्क़
कभी रूह से उसकी नाजाये
यह खत मोहब्बत के यूं दिल में उतर गए