खत के जवाब में
खत के जबाब में…..
पूछा था मैंने हालचाल इस ख्याल से
चेहरा हसीं दिख जायगा आज फिर ख्बाब में
मत पूछिये क्या भेजा उसने खत के जबाब में
तमाम फूल सूखे हुए इक बंद रूमाल में
मत पूछिये……..
खुशबुएँ वो मोगरे की लौटा दी उसने सारी
खोल पन्ने किताब के तितलियॉ उडा दी सारी
ऑसूओं के निशॉ तक हटा दिये निगाहों से
मत पूछिये क्या भेजा उसने खत के जबाब में
मत पूछिये……..
दिल ए आइने पर छाई धूल तक न हटाई
तस्वीर निकाल दी सीने से, न रोयी,न मुस्कायी
मैं बैठा ही रह गया,उसकी वफा के इंतजार मे
मत पूछिये क्या भेजा उसने खत के जबाब में
मत पूछिये…….
कभी पी थी जिनसे वो पैमाने तोड दिये
मिलते थे दिन रात जहॉ,वो मैखाने छोड दिये
आवारा सा फिरता हूँ अब उसके ख्याल में
मत पूछिये क्या भेजा उसने खत के जबाब में
मत पूछिये……
कर करके याद एक एक सब तोहफे लौटा दिये
संग गुजारे थे जो हसीन सहारे लौटा दिये
हर्फ तक मुहब्बत का नजर आता नही किताब में
मत पूछिये क्या भेजा उसने खत के जबाब में
मत पूछिये……
नाम सभी ,जो उसको दिये थे,मैंने मुहब्बत में
लगाके तोहमते इक इक कर लौटा दिये मुझकोे
आज न चॉद, न ताज,न वो आफताब में
मत पूछिये क्या भेजा उसने खत के जबाब में
मत पूछिये……
कुछ ओर ही भेजा होता गर जबाब में
सोच लेता कुछ हसीम उसके ख्याल में
पर, छोडा ही नही रास्ता उसने मेरे हिसाब मे
मत पूछिये क्या भेजा उसने खत के जबाब में
मत पूछिये….
वंदना मोदी गोयल