खण्डकाव्य- “महास्वारथ”
भीम दुःशासन से रणभूमि में कहते हैं–
तेरे इन भुज दण्डों को,,
मैं खंड खंड कर दूंगा।
तुझको देकर दंड दंड,,
मैं रण प्रचंड कर दूंगा।।
देख न अब मैं तेरा दास,,
न ही तेरा भ्राता हूँ।
तेरे काल का क्रम लिखकर,,
आया स्वयं विधाता हूँ।।
——————————-स्वरचित खण्डकाव्य “महास्वारथ” के पंचम सर्ग से लिया गया “भीम-दुःशासन संवाद” का अंश।
——————भविष्य त्रिपाठी