खट्टी-मीठी यादों सहित,विदा हो रहा तेईस
खट्टी-मीठी यादों सहित,विदा हो रहा तेईस
प्रभावित सबको किया, गरीब हो या रईस
चाहा अनचाहा मिला, यही नियति का खेल
सबके जीवन में चला ,सुख दुख दोनों का मेल
सावधान हो चले चलो, ये है जीवन की रेल
कुछ आए कुछ चले गए, निकल गई है रेल
धन्यवाद २०२३स्वागत २०२४
सुरेश कुमार चतुर्वेदी