Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
3 Jun 2023 · 2 min read

#खज़ाने का सांप

🙏
(कुछ रचनाएं कालजयी हुआ करती हैं । भारत की पहली पॉकेट बुक प्रकाशक संस्था ‘हिंद पॉकेट बुक्स’ ने १९६७ में एक काव्य संग्रह प्रकाशित किया था, “१९६६ की उर्दू शायरी”। उसमें पाकिस्तानी कवि श्री ज़ाहिद डार की कविता थी, “खज़ाने का सांप”।

एक पुस्तकप्रेमी वो पुस्तक मांगकर ले गए और परंपरानुसार वो लौटकर मेरे पास आई नहीं। लेकिन, वो कविता मेरे मन-मस्तिष्क पर आज भी अंकित है। श्री ज़ाहिद डार के भावों को अक्षुण्ण रखते हुए कुछ शब्द, कुछ पंक्तियां अपनी ओर से जोड़कर उस कविता का हिंदी रूप आपके सामने प्रस्तुत कर रहा हूं। यदि आप प्रशंसा के फूल बिखेरें तो वो श्री ज़ाहिद डार के नाम और यदि आपका समय व्यर्थ हुआ तो मैं क्षमाप्रार्थी हूं।)
✍️

★ #खज़ाने का सांप ★

मेरी माँ बताया करती थी
कहानी सुनाया करती थी
प्राचीन समय के धनपति
जीवनभर की धन-सम्पत्ति
घड़े में रखकर धरती में गाड़ दिया करते
और घड़े के ऊपर
मिट्टी का सांप रक्षक बनाकर बिठाया करते
और
घड़ा चल पड़ता
लोग अपने बेटे की बलि देते
घड़ा निकाल लेते

हमारे घर में भी ऐसा ही एक घड़ा था
मेरी माँ बहुत भोली थी
उसे मुझसे प्रेम बड़ा था
उसने मेरी बलि नहीं दी
और

घड़ा आगे चला गया
मैं माँ की कहानी को कहानी माना करता
किसी सांप से न डरा करता
लेकिन आज देखता हूं
गरम रोटी और छप्पनभोगों पर
वणिकपीठों उद्योगों पर
विस्तृत खेतों खलिहानों पर
साहित्य की सजी दुकानों पर
ऊंचे और ऊंचे आसनों पर
सदाबहार आश्वासनों पर
प्रत्येक स्थान पर
गोचरान पर
एक सांप बैठा है
मठाधीशों के पांव पखारकर
आत्माभिमान बिसारकर
जो जो निज की बलि देता है
वही घड़ा ले लेता है . . . !

#वेदप्रकाश.लाम्बा
यमुनानगर (हरियाणा)
९४६६०-१७३१२

Language: Hindi
1 Like · 323 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
2999.*पूर्णिका*
2999.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
कड़वा बोलने वालो से सहद नहीं बिकता
कड़वा बोलने वालो से सहद नहीं बिकता
Ranjeet kumar patre
"इंसानियत की सनद"
Dr. Kishan tandon kranti
अब कहां लौटते हैं नादान परिंदे अपने घर को,
अब कहां लौटते हैं नादान परिंदे अपने घर को,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
जातिवाद का भूत
जातिवाद का भूत
मधुसूदन गौतम
जब ज्ञान स्वयं संपूर्णता से परिपूर्ण हो गया तो बुद्ध बन गये।
जब ज्ञान स्वयं संपूर्णता से परिपूर्ण हो गया तो बुद्ध बन गये।
manjula chauhan
“ख़्वाहिशों का क़ाफ़िला  गुजरता अनेक गलियों से ,
“ख़्वाहिशों का क़ाफ़िला गुजरता अनेक गलियों से ,
Neeraj kumar Soni
समझ ना आया
समझ ना आया
Dinesh Kumar Gangwar
आँखों में अब बस तस्वीरें मुस्कुराये।
आँखों में अब बस तस्वीरें मुस्कुराये।
Manisha Manjari
सियासत
सियासत
Dr. Ramesh Kumar Nirmesh
मैं निकल गया तेरी महफिल से
मैं निकल गया तेरी महफिल से
VINOD CHAUHAN
" शिखर पर गुनगुनाओगे "
DrLakshman Jha Parimal
कन्या
कन्या
Bodhisatva kastooriya
चलते हैं क्या - कुछ सोचकर...
चलते हैं क्या - कुछ सोचकर...
Ajit Kumar "Karn"
वो परिंदा, है कर रहा देखो
वो परिंदा, है कर रहा देखो
Shweta Soni
#परिहास-
#परिहास-
*प्रणय*
*बूढ़ा हुआ जो बाप तो, लहजा बदल गया (हिंदी गजल)*
*बूढ़ा हुआ जो बाप तो, लहजा बदल गया (हिंदी गजल)*
Ravi Prakash
DR Arun Kumar shastri
DR Arun Kumar shastri
DR ARUN KUMAR SHASTRI
मेरी नाव
मेरी नाव
Juhi Grover
परीलोक से आई हो 🙏
परीलोक से आई हो 🙏
तारकेश्‍वर प्रसाद तरुण
अभी सत्य की खोज जारी है...
अभी सत्य की खोज जारी है...
Vishnu Prasad 'panchotiya'
बस अणु भर मैं बस एक अणु भर
बस अणु भर मैं बस एक अणु भर
Atul "Krishn"
टेढ़ी-मेढ़ी बातें
टेढ़ी-मेढ़ी बातें
Surya Barman
आँखों में अँधियारा छाया...
आँखों में अँधियारा छाया...
डॉ.सीमा अग्रवाल
ज़िंदगी
ज़िंदगी
Dr fauzia Naseem shad
मैंने उनको थोड़ी सी खुशी क्या दी...
मैंने उनको थोड़ी सी खुशी क्या दी...
ruby kumari
मुझे पढ़ना आता हैं और उसे आंखो से जताना आता हैं,
मुझे पढ़ना आता हैं और उसे आंखो से जताना आता हैं,
पूर्वार्थ
तेरे जाने के बाद बस यादें -संदीप ठाकुर
तेरे जाने के बाद बस यादें -संदीप ठाकुर
Sandeep Thakur
उस रात .....
उस रात .....
sushil sarna
चलो हम तो खुश नहीं है तो ना सही।
चलो हम तो खुश नहीं है तो ना सही।
Annu Gurjar
Loading...