खग व्योम
****** खग और व्योम (दोहावली) ******
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1
नील व्योम है खिल उठा,खग करते हैं शोर।
भू पर गाते – झूमते , नाच रहे हैं मोर।।
2
घन घोर घटा व्योम में,दिन में काली रात।
मेघा बरसती जोर से , भीगा सूखा पात।।
3
नीले – नीले व्योम में , इंद्र – धनुषी रंग।
कलरव करते गगन में,खग हो मस्त मलंग।।
4
मनसीरत खिला आसमां,देख ज़रा तुम गौर।
भाव – भीनी महक भरी, ताज़गी भरी भोर।।
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सुखविंद्र सिंह मनसीरत
खेड़ी राओ वाली (कैथल)