खग (कुंडलिया)*
खग (कुंडलिया)*
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खग में उड़ने की कला ,देखा गज बलवान
जल में रहती मीन को , तैराकी का ज्ञान
तैराकी का ज्ञान , फूल फल पौधे सजते
तबला और सितार , मधुर स्वर में हैं बजते
कहते रवि कविराय ,मनुज मत रोओ जग में
तुलना सबकी व्यर्थ ,दोष – गुण होते खग में
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खग = आकाश में उड़ने वाले पक्षी
गज = हाथी
मीन = मछली
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रचयिता : रवि प्रकाश
बाजार सर्राफा, रामपुर (उत्तर प्रदेश)
मोबाइल 99976 15451