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21 Apr 2024 · 1 min read

खंजर

खंजर

पुराना सा कोई मंजर, सीने में खल गया,
ये उठा दर्द और जी मचल गया।
बेफिक्री के आलम में यादों का खंजर,
चला तो क्या बुरा था, कि तू संभल गया,

अजय अमिताभ सुमन

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