” कड़वा सच “
“चलो मान लिया हमने ये भी,
कष्ट सहे थे गांधी निष्ठा से,
भारत देश प्रख्यात हुआ,उनकी अमर प्रतिष्ठा से,
किंतु सत्य अहिंसा की बातों पर ऐसे ऐठे,
सुखदेव,आज़ाद,भगत सिंह का जीवन ही ले बैठे,
घी,शहद दोनों अमृत लेकिन,मिलकर विष बन जाते हैं,
ठन कर अपनी बातों पर क्या अपनो की बलि चढ़ाते?
अपने सारे निर्णय को थोप रहे थे गांधी,
तुष्टिकरण का खूनी खंज़र घोंप रहे थे गांधी,
आज़ाद,भगत सिंह,नेता जी गांधी के लिए खिलौने थे,
महाक्रांति के नायक इनके, हठ के आगे बौने थे,
भारत को खंडित कर डाला,अखंड भारत का दौर गया,
भारत से पंजाब, सिंध, रावलपिंडी लाहौर गया,
जिन्ना के नापाक इरादे पूरे कर बैठे गांधी,
अपनी जिद्द में भारत के टुकड़े -टुकड़े कर बैठे गांधी,
कलम की गरिमा बेच रहे थे,
कुछ साहित्यकार दरबारों में,
चाटुकारिता में लिप्त हुए वो,नेहरू के परिवारों में,
भारत के सच्चे वीरों की गाथाएँ,
लिखना था उनके बस की बात नही,
सूरज से जुगनू टकराये इतनी उसकी औकात नहीं,
आज़ादी का केवल श्रेय नहीं,गांधी के आंदोलन को,
इस सपने को साकार किया,
लाखों ने खोकर अपने जीवन को,
कायरता की सीख भरी थी, गांधी के पैमाने में,
देश को लूटने वाले ही थे सब नेहरू के राज घराने में,
हिंदू के अरमानों की जलती चिता ही थे गांधी,
कौरव गुट के साथ खड़े भीष्मपिता ही थे गांधी,
अपनी शर्तें रखकर आयरविन को झुकवा सकते थे,
राजगुरु, सुखदेव,भगत सिंह की फाँसी को,
पल भर में रुकवा सकते थे,
फाँसी उनकी रुकवाने को ना कोई भी काम किया,
फंदे पर झूले वीर सपूत और बापू ने विश्राम किया,
मंदिर में पढ़कर कुरान वो विश्व विजेता बने रहे,
ऐसी कायरता से ही मुस्लिम जनमानस के नेता बने रहे,
हिंदुस्तान की गरिमा खातिर यह जुर्रत तो करते बापू,
मस्जिद में गीता पढ़ने की हिम्मत तो तुम करते बापू,
रेलों में हिन्दू काट-काट जब भेज रहे थे पाकिस्तानी,
टोपी के दुःख में मूक बैठे थे,
जब मारे जा रहे थे हिंदुस्तानी,
भारत के इन फूलों से प्रेम रहा ना माली में,
दंगों में छिपकर बैठे थे गांधी जाकर नोआखाली में,
गांधी की पाक परस्ती से जब भारत लाचार हुआ,
गोडसे की गोली के उस दिन बापू शिकार हुए,
मूक अहिंसा के कारण,
भारत माँ का आँचल फट जाता,
गांधी अगर जीवित रहते तो देश दोबारा बँट जाता,
गोडसे की गोली न जाती गांधी के सीने में तो,
हर हिंदू नमाज पढ़ रहा होता मक्का और मदीने में,
गांधीगीरी की कोई फिर देश में रेखा खींचें,
उससे पहले सबको कर दो भगवा झंडे के नीचे”