‘क्षमा प्रार्थना’
सुई में धागा, लिए बैठी हूँ,
कितने घाव, सिए बैठी हूँ।
तुमसे क्या कहूँ,क्या न कहूँ,
मैं दुख हजार, पिए बैठी हूँ।
कर कृपा, दुख हरो दुःखभंजन,
तुझ से विनती किए बैठी हूँ।
भूल हो गई हो भूल से कोई,
प्रभु क्षमा,सिर झुकाए बैठी हूँ।
सुई में धागा, लिए बैठी हूँ,
कितने घाव, सिए बैठी हूँ।
तुमसे क्या कहूँ,क्या न कहूँ,
मैं दुख हजार, पिए बैठी हूँ।
कर कृपा, दुख हरो दुःखभंजन,
तुझ से विनती किए बैठी हूँ।
भूल हो गई हो भूल से कोई,
प्रभु क्षमा,सिर झुकाए बैठी हूँ।