क्षत्राणी की गौरव गाथा
क्षत् से रक्षा करती है जो
वह क्षत्राणी कहलाती है
क्षत्राणी की गौरव गाथा
ग्रंथों में गायी जाती है ।
पौराणिक युग से ही उसने
यश पताका फहरायी है
गंगा – पार्वती सी हिमकन्या
जग कल्याणी कहलायी हैं ।
केकैयी कौशल्या और सुमित्रा
श्रुतकीर्ति मांडवी उर्मिला सीता।
सतयुग की सब महा रानियाँ
जिनके बल रघुकुल सदा जीता।
सत्यवती अंबालिका कुंती
माद्री गांधारी द्रोपदी उत्तरा
शक्ति का पर्याय सभी थीं
रुक्मणि हो या रानी सुभद्रा ।
यमराज से जो लड़ जाए
क्षत्राणी वह सावित्री है ,
हरिश्चंद्र का जो साथ निभाए
क्षत्राणी वह तारामती है ।
मीरा भगवन की दीवानी
सुकोमल राजकुमारी थी
षड्यंत्रों से नहीं वह हारी
बनी भक्ति की महारानी थी ।
राष्ट्र और सतीत्व की रक्षा
क्षत्राणी स्वयं निभाती है ,
बद्नीयत सुल्तानों के आगे
नहीं वह शीश झुकाती है ।
पद्मिनी हो या रानी हाँडी
पन्नाधाय या अहिल्याबाई
कर्मवती हो या दुर्गावती
चारुमती या जीजाबाई।
फूलकुँवर और मनीमाता
रत्नकुमारी या ताराबाई
शौर्य त्याग वीरता इनकी
बादशाहों से थी टकराई ।
अंग्रेजी हुक्मों को नहीं माना
ऐसी थी झाँसी की रानी
ले रणक्षेत्र में आयी उनको
आजादी युद्ध की वो क्षत्राणी ।
रानी जिन्दा और ईश्वरी देवी
सुभद्रा कुमारी और तपस्विनी
नवयुग की ये नव चेतना
मुक्ति समर की थीं वीराँगना ।
अवसर मिलते ही क्षत्राणी
अपना कर्तव्य निभाती है
क्षत्राणी की गौरव गाथा
ग्रंथों में गायी जाती है ।
डॉ रीता
एफ – 11 , फेज़ – 6
आया नगर , नई दिल्ली – 47