“क्षणिका”
क्या कुछ कहने के लिये शब्द ज़रूरी हैं?नहीं न—!
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“क्षणिका”
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लिखनी थी
चिट्ठी उनको;
शब्द हो गये गुम,
और मैं गुमसुम;
कोरा काग़ज़ हूँ ;
क्या भेजूँ ?
या फिर,
मेरे दिल की
आवाज़ ही
पहुँचा दो
उनको।
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राजेश”ललित”शर्मा
२८-१-२०१७
७:५५
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