“क्षणिका”
कभी कभी किसी के हँसने को या रोने को कोई वजह बता कर टालने की कोशिश करते हैं पर वस्तुस्थिति कुछ और होती है ,देखें कैसे:-
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“क्षणिका”
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मेरी हँसी ,
मेरी ख़ुशी,
न समझ,
हर चोट पर,
मुस्कराने की है आदत;
डरता हूँ ;
कहीं तुझे
कोई इल्ज़ाम न दे।
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राजेश”ललित”शर्मा
२६-१-२०१७
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