क्षणिका
क्षणिका
किया है कैद मुझको,
दीवाना बना कर।
रास ना आया तुमको ,
जोरू का गुलाम बन कर।।
कहते नहीं थकते,
हुस्न की हो तुम परी।
जब आई कोई झल्ली,
दिल पर भारी पड़ी।
ये दिन, ये रात
नहीं करते तेरे बिन।
मायके जातें ही,खुशियां,
बधाईयां मिलती ,दिन व दिन।।
विभा जैन (ओज्स)
इंदौर (मध्यप्रदेश)