Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
29 May 2024 · 1 min read

क्षणिका

क्षणिका

किया है कैद मुझको,
दीवाना बना कर।
रास ना आया तुमको ,
जोरू का गुलाम बन कर।।

कहते नहीं थकते,
हुस्न की हो तुम परी।
जब आई कोई झल्ली,
दिल पर भारी पड़ी।

ये दिन, ये रात
नहीं करते तेरे बिन।
मायके जातें ही,खुशियां,
बधाईयां मिलती ,दिन व दिन।।

विभा जैन (ओज्स)
इंदौर (मध्यप्रदेश)

Language: Hindi
27 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
संदेह से बड़ा
संदेह से बड़ा
Dr fauzia Naseem shad
पुनीत /लीला (गोपी) / गुपाल छंद (सउदाहरण)
पुनीत /लीला (गोपी) / गुपाल छंद (सउदाहरण)
Subhash Singhai
"दस ढीठों ने ताक़त दे दी,
*प्रणय प्रभात*
गैरों से क्या गिला करूं है अपनों से गिला
गैरों से क्या गिला करूं है अपनों से गिला
Ajad Mandori
" नयन अभिराम आये हैं "
भगवती प्रसाद व्यास " नीरद "
बुंदेली दोहा बिषय- नानो (बारीक)
बुंदेली दोहा बिषय- नानो (बारीक)
राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'
जय श्री राम
जय श्री राम
Suman (Aditi Angel 🧚🏻)
श्री सुंदरलाल सिंघानिया ने सुनाया नवाब कल्बे अली खान के आध्यात्मिक व्यक्तित्व क
श्री सुंदरलाल सिंघानिया ने सुनाया नवाब कल्बे अली खान के आध्यात्मिक व्यक्तित्व क
Ravi Prakash
करूण संवेदना
करूण संवेदना
Ritu Asooja
लघुकथा - दायित्व
लघुकथा - दायित्व
अशोक कुमार ढोरिया
♥️मां पापा ♥️
♥️मां पापा ♥️
Vandna thakur
बंदर मामा
बंदर मामा
Dr. Pradeep Kumar Sharma
"आँसू"
Dr. Kishan tandon kranti
आज के युग में नारीवाद
आज के युग में नारीवाद
Surinder blackpen
जाने क्या-क्या कह गई, उनकी झुकी निग़ाह।
जाने क्या-क्या कह गई, उनकी झुकी निग़ाह।
sushil sarna
"ख़ामोशी"
Pushpraj Anant
सुबह सुबह की चाय
सुबह सुबह की चाय
Neeraj Agarwal
समाज सेवक पुर्वज
समाज सेवक पुर्वज
डॉ विजय कुमार कन्नौजे
कभी भ्रम में मत जाना।
कभी भ्रम में मत जाना।
surenderpal vaidya
" हवाएं तेज़ चलीं , और घर गिरा के थमी ,
Neelofar Khan
तुम्हें तो फुर्सत मिलती ही नहीं है,
तुम्हें तो फुर्सत मिलती ही नहीं है,
Dr. Man Mohan Krishna
2358.पूर्णिका
2358.पूर्णिका
Dr.Khedu Bharti
रफ़्ता -रफ़्ता पलटिए पन्ने तार्रुफ़ के,
रफ़्ता -रफ़्ता पलटिए पन्ने तार्रुफ़ के,
ओसमणी साहू 'ओश'
हमने भी मौहब्बत में इन्तेक़ाम देखें हैं ।
हमने भी मौहब्बत में इन्तेक़ाम देखें हैं ।
Phool gufran
उस बाग का फूल ज़रूर बन जाना,
उस बाग का फूल ज़रूर बन जाना,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
नहीं भुला पाएंगे मां तुमको, जब तक तन में प्राण
नहीं भुला पाएंगे मां तुमको, जब तक तन में प्राण
सुरेश कुमार चतुर्वेदी
अपने सपनों के लिए
अपने सपनों के लिए
हिमांशु Kulshrestha
घर छूटा तो बाकी के असबाब भी लेकर क्या करती
घर छूटा तो बाकी के असबाब भी लेकर क्या करती
Shweta Soni
चलो चलें बौद्ध धम्म में।
चलो चलें बौद्ध धम्म में।
Buddha Prakash
सत्य की खोज
सत्य की खोज
Dinesh Yadav (दिनेश यादव)
Loading...