क्षणिका
1 काले काले बादलों की गड़गड़ाहट से
किसान मुस्कुरा उठता है
आज विधाता ने
मेरी पुकार सुनली।
2 फसलो की हरियाली देख
किसान मन्त्र मुग्ध होता
फल्ली लगते ही खिल उठता है
फसल के पकते ही
खूशी से झूम उठता है।
1 काले काले बादलों की गड़गड़ाहट से
किसान मुस्कुरा उठता है
आज विधाता ने
मेरी पुकार सुनली।
2 फसलो की हरियाली देख
किसान मन्त्र मुग्ध होता
फल्ली लगते ही खिल उठता है
फसल के पकते ही
खूशी से झूम उठता है।