क्षणिकायें
दो क्षणिकायें पहली बेअसर दुआयें दूसरी स्वामी दीन दयालु जी के गोलोक गमन पर हैं:—
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क्षणिकायें
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तुम्हारी दुआओं की
अब ज़रूरत ही न रही
बद्ददुआओं का असर
इतना है बाकी
दुआएं सब बेअसर होंगी
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राजेश’ललित’
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संत कभी मरते नहीं
नष्ट होता शरीर
नमन करें उस
दीनु दयाल को
प्रभु सिमरन में
रहे जीवन भर
अति धीर गंभीर
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राजेश’ललित’