क्षणिकाएं
1.
बालक , जब तुम चंचलता छोड़ो
जब तुम शरारतों से नाता तोड़ो
जब तुम अज्ञान से मुंह मोड़ो
तब तुम समझना
तुम उत्कर्ष राह पर अगसर हो
2.
सुन्दर हो तुम , ये मान लो
श्रेष्ठतम हो तुम, ये जान लो
पवित्र है आत्मा तुम्हारी
तुम सच्चे मानव हो , ये जान लो