क्षणिकाएं
1.
अहंकार जब दम तोड़ने लगे
अभिलाषाएं जब स्थिर हो जाएँ
काम , जब विलासिता न हो
समझो संस्कृति और संस्कार पल्लवित होने लगे हैं
2.
सेवक को जब , मानव समझा जाने लगे
उन्नति मार्ग, जब सब प्रस्थित होने लगें
ज्ञान जब सबके , जीवन का आधार होने लगे
समझो , मानव संस्कारित होने लगे हैं