Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
27 Jan 2019 · 2 min read

क्रोध

चार नरक के द्वार हैं,काम,लोभ ,मद,क्रोध।
जीवन उसका है सफल,जिसको इसका बोध।।१

क्रोध दूसरों में करे, सिर्फ क्रोध संचार।
करे शांति को भंग जो, ऐसा एक विकार।। २

क्रोध कभी करता नहीं, अनुचित उचित विचार।
करे नष्ट बल,बुद्धि धन, धर्म, नीति, आचार।। ३

क्रोध असुर की संपदा, पीड़ा दायक द्वार।
अपना ही घर फूंक दे,यह ऐसी अंगार।। ४

गुस्सा करता है सदा, अपना ही नुकसान।
जो वश में करता इसे, बढ़ता जग में मान।। ५

मुख धारी बैरी बहुत, देता खुद को श्राप।
इस पर अंकुश डाल दो, क्रोध पाप का बाप।। ६

क्रोध पतन का रास्ता, महा तीक्ष्ण तलवार।
खुद की गर्दन पर करें, खुद ही मनुज प्रहार।। ७

तीर क्रोध का जब चले, खुद का करे विनाश।
मन में आने दो नहीं, काटो इसका पाश।। ८

करे मनुज को खोखला,क्रोध एक अभिशाप।
शक्ति हीन जीवन पतन, करते खुद को आप।। ९

लिया क्रोध में फैसला, मूर्खता का प्रमाण।
वह पछताता बाद में, हर लेता है प्राण।। १०

चले क्रोध का वाण जब, हर लेता है ज्ञान।
लाती विपदा साथ में, लाती है तूफान।। ११

लेकर लंबी साँस तब, पानी पी लो आप।
फिर दस तक मन में गिनो, घटे क्रोध का ताप।। १ २

चुप रहना ही क्रोध में, एक सटीक उपाय।
तभी क्रोध का भूत यह, काबू में आ जाय।। १ ३

खुद पर काबू ही नहीं, बना क्रोध का दास ।
मानव से दानव बना, रिश्ते हुए उदास।। १४

क्रोध जलाता नित दिवस, बढता रहे तनाव।
मानव तन-मन पर पड़े, इसका बुरा प्रभाव।। १५

अंतस को घायल किया, कड़क क्रोध का बोल।
सब अच्छाई ले गया, जहर दिया है घोल।। १६

क्रोध भरा आँखे दिखे, लाल रक्त का कूप।
करे लाख श्रृंगार वह, फिर भी लगे कुरूप।। १ ७

योग, ध्यान आसन करें, संयम रहे विवेक।
नित दिन प्राणायाम से, लगे क्रोध पर टेक।। १८

आता है आवेग से, तीव्र क्रोध का आग।
स्वयं मनुज जब पालता, मन में विषधर नाग।। १९

सावधान होकर रहे, खड़ा क्रोध का काल।
सर्वनाश कर छोड़ता, नहीं हृदय में पाल।। २०

-लक्ष्मी सिंह

Language: Hindi
177 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from लक्ष्मी सिंह
View all
You may also like:
खूबसूरत लोग हमेशा अच्छे नहीं होते, अच्छे लोग हमेशा खूबसूरत न
खूबसूरत लोग हमेशा अच्छे नहीं होते, अच्छे लोग हमेशा खूबसूरत न
रामनाथ साहू 'ननकी' (छ.ग.)
अल्फाज (कविता)
अल्फाज (कविता)
Monika Yadav (Rachina)
चलो मनाएं नया साल... मगर किसलिए?
चलो मनाएं नया साल... मगर किसलिए?
Rachana
बुंदेली दोहा प्रतियोगिता -171
बुंदेली दोहा प्रतियोगिता -171
राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'
Happiness doesn't come from sleeping, relaxing and hanging o
Happiness doesn't come from sleeping, relaxing and hanging o
पूर्वार्थ
ପ୍ରାୟଶ୍ଚିତ
ପ୍ରାୟଶ୍ଚିତ
Bidyadhar Mantry
ग़ज़ल
ग़ज़ल
Jitendra Kumar Noor
सत्य की खोज
सत्य की खोज
Surya Barman
उदास शख्सियत सादा लिबास जैसी हूँ
उदास शख्सियत सादा लिबास जैसी हूँ
Shweta Soni
राज़-ए-इश्क़ कहाँ छुपाया जाता है
राज़-ए-इश्क़ कहाँ छुपाया जाता है
शेखर सिंह
"बता "
Dr. Kishan tandon kranti
रामलला ! अभिनंदन है
रामलला ! अभिनंदन है
Ghanshyam Poddar
ग़ज़ल
ग़ज़ल
Neelofar Khan
जो चलाता है पूरी कायनात को
जो चलाता है पूरी कायनात को
shabina. Naaz
4672.*पूर्णिका*
4672.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
*शून्य से दहाई का सफ़र*
*शून्य से दहाई का सफ़र*
सुरेन्द्र शर्मा 'शिव'
मित्रता स्वार्थ नहीं बल्कि एक विश्वास है। जहाँ सुख में हंसी-
मित्रता स्वार्थ नहीं बल्कि एक विश्वास है। जहाँ सुख में हंसी-
Dr Tabassum Jahan
राम
राम
Sanjay ' शून्य'
*आर्य समाज और थियोसॉफिकल सोसायटी की सहयात्रा*
*आर्य समाज और थियोसॉफिकल सोसायटी की सहयात्रा*
Ravi Prakash
मेरी कलम से…
मेरी कलम से…
Anand Kumar
रिश्ते सालों साल चलते हैं जब तक
रिश्ते सालों साल चलते हैं जब तक
Sonam Puneet Dubey
आसमां का वजूद यूं जमीं से है,
आसमां का वजूद यूं जमीं से है,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
बुरा समय
बुरा समय
Dr fauzia Naseem shad
रूबरू।
रूबरू।
Taj Mohammad
पढ़ता  भारतवर्ष  है, गीता,  वेद,  पुराण
पढ़ता भारतवर्ष है, गीता, वेद, पुराण
Anil Mishra Prahari
अंगुलिया
अंगुलिया
Sandeep Pande
तुम्हारे दीदार की तमन्ना
तुम्हारे दीदार की तमन्ना
Anis Shah
जो भी आते हैं वो बस तोड़ के चल देते हैं
जो भी आते हैं वो बस तोड़ के चल देते हैं
अंसार एटवी
कहां गई वो दीवाली और श्रीलक्ष्मी पूजन
कहां गई वो दीवाली और श्रीलक्ष्मी पूजन
Suryakant Dwivedi
गांधीजी की नीतियों के विरोधी थे ‘ सुभाष ’
गांधीजी की नीतियों के विरोधी थे ‘ सुभाष ’
कवि रमेशराज
Loading...