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4 Aug 2023 · 1 min read

*क्रोध की गाज*

… क्रोध की गाज….
आसमान से गिरती गाज़,
और धरा को सहना पड़ता,
क्रोध, हे मानव ! ऐसा होता,
करते जब भी क्रोध तुम,
खो आपे से हो कर के बहार,
औरो को दर्द सहना पड़ता,
खुद भी होत जाते हो शिकार,
हाथ जलते तुम्हारे भी,
गर्म कोयले को रखते अपने हाथ,
पहुँचता है केवल घात,
मानव करता अपना ही नुकसान,
पछतावा ही अंत हाथ लगता,
बात समझ मे आता तब,
क्रोध छोड़ कर जाता जब।

Language: Hindi
1 Like · 573 Views
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