क्रोध अहंकार एवं पंच-विकार पर नजरिया.
क्रोध और अहंकार को दुश्मन न समझे ।
इसे जाने ..पहचाने और ..सीढ़ी बनाए ।।
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खैर हमने यही पढ़ा है सीखा भी ।
क्रोध और अहंकार हमारे दुश्मन है ।।
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वैसे अपने वजूद की रक्षा के लिए क्रोध भी जरूरी है।
अहंकार का रूपांतरण.. प्रेम एवं समर्पण होता है ।।
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अहकार पर पूरा एक पंथ जीवित है ।
जिसे हम नाथ-सम्प्रदाय कहते है।
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शायद हम अनभिज्ञ है।
अतः हम क्रोध और अहंकार का विरोध करते है।
सीढ़ी नहीं बनाते ।।
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और हमें बनाना भी नहीं आता ।
कभी कोशिश की तो गिर पड़े ।।
अब हिम्मत ही नहीं होती ।।
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गनीमत है आइंस्टाईन की हिम्मत नहीं टूटी ।
नहीं तो बिजली नहीं बनती ।।
नहीं तो न जाने कितने दिन ओर अंधकार में रहे होते।।
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डॉ. महेंद्र