क्रान्ति
है जरूरत
हर युग में
आजाद और
आजादी की
भाती नहीं
पराधीनता
न मानव
न पंछी को
झटपटाता है
इन्सा
आजादी के लिए
पर
भूल जाता है
आजादी और
आजाद के
बलिदान को
गुजर रहा है
आज वक्त
मुश्किल दौर में
घोपा है
खंजर
दुश्मन ने
पीठ पर
करता है
बात
भाई – भाई की
फैला
रखा है
कोरोना
दुनियां में
नहीं
भर रहा है
मन इससे
उसका
कर रहा है
हरकत लद्दाख में
है आज
जरूरत
क्रांति की
है आज
जरूरत
भगत
सुखदेव
आजाद की
न जाये
बेकार
बलिदान
इनका
हर देशवासी को
क्रान्तिकारी
बनना है
हर हिन्दुस्तानी को
बिगुल बजाना है
स्वलिखित
लेखक संतोष श्रीवास्तव भोपाल