Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
30 Dec 2021 · 1 min read

क्रांति के रागिनी

अपना देश के हाल
कहल नइखे जात
ये महंगाई के मार
सहल नइखे जात…
(१)
चाहे गाली मिलो
या गोली लेकिन
अब चुपचाप हमसे
रहल नइखे जात…
(२)
धारा में समय के
साथे भीड़ के
एगो लाश जइसन
बहल नइखे जात…
(३)
मतलब रखीं बस
अपने काम से
एतना हमसे नीचे
गिरल नइखे जात…
(४)
अय्याशी के अपना
इंतज़ाम खातिर
आपन ज़मीर हमसे
बेचल नइखे…
(५)
हम तअ गावत रहेब
क्रांति के रागिनी
राग दरबारी हमसे
गावल नइखे जात…
#Geetkar
Shekhar Chandra Mitra
#बेरोज़गारी #स्वास्थ्य #शिक्षा
#महंगारिचार्ज #expensiverecharge
#जनवादीगीत

188 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
*मेरा विश्वास*
*मेरा विश्वास*
सुरेन्द्र शर्मा 'शिव'
4424.*पूर्णिका*
4424.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
मन को समझाने
मन को समझाने
sushil sarna
शुभकामना संदेश.....
शुभकामना संदेश.....
Awadhesh Kumar Singh
घाव
घाव
अखिलेश 'अखिल'
सारे नेता कर रहे, आपस में हैं जंग
सारे नेता कर रहे, आपस में हैं जंग
Dr Archana Gupta
अंधेर नगरी
अंधेर नगरी
Dr.VINEETH M.C
ज़िन्दगी में
ज़िन्दगी में
Santosh Shrivastava
विद्यार्थी को तनाव थका देता है पढ़ाई नही थकाती
विद्यार्थी को तनाव थका देता है पढ़ाई नही थकाती
पूर्वार्थ
"कविता का किसान"
Dr. Kishan tandon kranti
कुछ फूल खुशबू नहीं देते
कुछ फूल खुशबू नहीं देते
Chitra Bisht
पर्वतों से भी ऊॅ॑चा,बुलंद इरादा रखता हूॅ॑ मैं
पर्वतों से भी ऊॅ॑चा,बुलंद इरादा रखता हूॅ॑ मैं
VINOD CHAUHAN
हवा तो आज़ भी नहीं मिल रही है
हवा तो आज़ भी नहीं मिल रही है
Sonam Puneet Dubey
बापक भाषा
बापक भाषा
Dinesh Yadav (दिनेश यादव)
श्रम साधक को विश्राम नहीं
श्रम साधक को विश्राम नहीं
संजय कुमार संजू
*सुगढ़ हाथों से देता जो हमें आकार वह गुरु है (मुक्तक)*
*सुगढ़ हाथों से देता जो हमें आकार वह गुरु है (मुक्तक)*
Ravi Prakash
जीवन के रूप (कविता संग्रह)
जीवन के रूप (कविता संग्रह)
Pakhi Jain
'शत्रुता' स्वतः खत्म होने की फितरत रखती है अगर उसे पाला ना ज
'शत्रुता' स्वतः खत्म होने की फितरत रखती है अगर उसे पाला ना ज
satish rathore
सच को खोना नहीं  ,
सच को खोना नहीं ,
Dr.sima
The Sound of Birds and Nothing Else
The Sound of Birds and Nothing Else
R. H. SRIDEVI
विश्वास
विश्वास
शालिनी राय 'डिम्पल'✍️
ग्रीष्म ऋतु --
ग्रीष्म ऋतु --
Seema Garg
पाती प्रभु को
पाती प्रभु को
Saraswati Bajpai
बदमिजाज सी शाम हो चली है,
बदमिजाज सी शाम हो चली है,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
I want to tell them, they exist!!
I want to tell them, they exist!!
Rachana
..
..
*प्रणय*
उसकी सूरत में उलझे हैं नैना मेरे।
उसकी सूरत में उलझे हैं नैना मेरे।
Madhuri mahakash
परवरिश
परवरिश
Shashi Mahajan
ना तुझ में है, ना मुझ में है
ना तुझ में है, ना मुझ में है
Krishna Manshi
एक कदम हम बढ़ाते हैं ....🏃🏿
एक कदम हम बढ़ाते हैं ....🏃🏿
Ajit Kumar "Karn"
Loading...