क्रांति के रागिनी
अपना देश के हाल
कहल नइखे जात
ये महंगाई के मार
सहल नइखे जात…
(१)
चाहे गाली मिलो
या गोली लेकिन
अब चुपचाप हमसे
रहल नइखे जात…
(२)
धारा में समय के
साथे भीड़ के
एगो लाश जइसन
बहल नइखे जात…
(३)
मतलब रखीं बस
अपने काम से
एतना हमसे नीचे
गिरल नइखे जात…
(४)
अय्याशी के अपना
इंतज़ाम खातिर
आपन ज़मीर हमसे
बेचल नइखे…
(५)
हम तअ गावत रहेब
क्रांति के रागिनी
राग दरबारी हमसे
गावल नइखे जात…
#Geetkar
Shekhar Chandra Mitra
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