क्राँति की ज्योति
तुम अग़र रणभूमि का सहारा बनो,
मै क्राँति की ज्योति … जलाती रहूँ।।
तुम यूँही अखंडता को बनाये रखो,
मै वीरों की गाथा …….सुनाती रहूँ।।
कितनी माता की ……गोद हैं सूनी पड़ी,
कितने बहनों की आंखों से मोती झड़ी।
तुम्हारी जाया पुकारे है ……..हर घड़ी,
बिन तुम्हारे साँसे भी मुश्किल में पड़ी।
तुम अग़र तम के साये हटाते रहो,
मै यूँही प्रेम दरिया….बहाती रहूँ।।
✒#शिल्पीसिंह❤