क्यों होते नहीं शर्मसार
शिक्षा के स्थान पर
मजदूरी का भार
बेटी के गले में
फूलों का नहीं बल्कि
कांटों का हार
बेटे के सिर पर ताज नहीं अपितु
परिवार का पत्थर की शिला सा
भार
ऐसे बच्चों के बचपन को लुटता देख
बर्बाद होता देख इनका जीवन
हम कुछ कदम आगे बढ़ाते क्यों नहीं
मदद के लिए हाथ उठाते क्यों नहीं
यह सब देख आखिर क्यों होते नहीं
हम सब शर्मसार।
मीनल
सुपुत्री श्री प्रमोद कुमार
इंडियन डाईकास्टिंग इंडस्ट्रीज
सासनी गेट, आगरा रोड
अलीगढ़ (उ.प्र.) – 202001