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11 Mar 2022 · 1 min read

क्यों होते नहीं शर्मसार

शिक्षा के स्थान पर
मजदूरी का भार
बेटी के गले में
फूलों का नहीं बल्कि
कांटों का हार
बेटे के सिर पर ताज नहीं अपितु
परिवार का पत्थर की शिला सा
भार
ऐसे बच्चों के बचपन को लुटता देख
बर्बाद होता देख इनका जीवन
हम कुछ कदम आगे बढ़ाते क्यों नहीं
मदद के लिए हाथ उठाते क्यों नहीं
यह सब देख आखिर क्यों होते नहीं
हम सब शर्मसार।

मीनल
सुपुत्री श्री प्रमोद कुमार
इंडियन डाईकास्टिंग इंडस्ट्रीज
सासनी गेट, आगरा रोड
अलीगढ़ (उ.प्र.) – 202001

Language: Hindi
320 Views
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