क्यों है अहम तुमको खुद पर इतना
क्यों है अहम तुमको खुद पर इतना, किस पर तुमको नाज है।
एक दिन मिलेगा मिट्टी में ही तू , तेरा वजूद बस आज है।।
क्यों है अहम तुमको खुद पर——————–।।
मत कर मोह तू इतना धन से, अपनी इस झूठी शौहरत से।
एक दिन की यह चांदनी है, रोशन नहीं जीवन दौलत से।।
नहीं जायेगी साथ तेरी यह दौलत, इसका बस यही राज है।
एक दिन मिलेगा मिट्टी में ही तू , तेरा वजूद बस आज है।।
क्यों है अहम तुमको खुद पर———————।।
तू है हसीन बहुत चेहरे से, और करता है तारीफ तू इसकी।
एक दिन यह भी मुरझा जायेगा, बुढ़ापे में तस्वीर इसकी।।
होगा नहीं तू कल को हसीन, जैसा हसीन तू आज है।
एक दिन मिलेगा मिट्टी में ही तू , तेरा वजूद बस आज है।।
क्यों है अहम तुमको खुद पर——————–।।
मत तू कर्म कर ऐसे जीवन में, जिससे हो नाम बदनाम तेरा।
मत तू ऐसी राह पर चल, जिससे हो जीवन गुमनाम तेरा।।
होगा अमर तू बस कर्मों से, झूठा तुम्हारा यह ताज है।
एक दिन मिलेगा मिट्टी में ही तू , तेरा वजूद बस आज है।।
क्यों है अहम तुमको खुद पर——————-।।
शिक्षक एवं साहित्यकार
गुरुदीन वर्मा उर्फ़ जी.आज़ाद
तहसील एवं जिला- बारां(राजस्थान)