क्यों रोका है इन आंखों के सैलाबों को
क्यों रोका हैं इन आंखों के सैलाबों को,
छलक जाने दो ना…
ये कुछ बयां करना चाहती हैं,
बयां करने दो ना….
क्यों छिपा कर रखा है इन्हे आंखों में,
अपने ही तो है आंखों को हल्का हो जाने दो ना ….
जो होना ही था,
वह तो हो ही गया ना………
बस बहुत हो गई ये पल-पल की घुटन,
अब इन आंखों के सैलाबों को छलक जाने दो ना……
– कृष्ण सिंह
मेरे बारे में….
मेरा नाम “कृष्ण सिंह” है । मैं सरकारी जॉब में हूँ । हरियाणा के रेवाड़ी जिले के छोटे से गांव में रहता हूँ । कविता अपने लिये लिखता हूं, लेकिन औरों से बाटने में आनन्द की अनुभूति होती है । प्रथम कविता 02 फरवरी 2022 में अमर उजाला अखबार के “मेरे अल्फ़ाज़” ब्लॉग में “कुछ कहने का दिल है आज बहुत दिनों के बाद” शीर्षक से प्रकाशित हुई है। तभी से लिखने की एक नई दिशा मिली हैं । आपके अमुल्य प्रतिकिया के सदैव इन्तजार में… कृष्ण सिंह’…. आप मुझसे बात यहाँ कर सकते …. आप चाहे तो अपना नाम और e-mail id भी दे सकते है ।