क्यों ? मघुर जीवन बर्बाद कर
क्यों ? मघुर जीवन बर्बाद कर
जगत जन की आस छीनती हो
धिक्कार हुंकार विकार निकाल
मिटा काली होली दिवा दिवाली
प्रज्वलित कर दीप दिल नारी की
सबला बन प्रसून लाल निखार
त्याग घूंट घूंट घूंटन जीवन का
गर्व अभिमान बन मातृभूमि का
अबला नहीं तु सबला बन ?
टी.पी तरुण