Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
25 Jul 2023 · 2 min read

*क्यों बुद्ध मैं कहलाऊं?*

सिद्दार्थ नहीं जो गृह त्याग कर,
वन को मैं चला जाऊं,
यशोधरा की सेज छीन कर,
राहुल को मैं ठुकराऊ।
जननी जनक के प्रेम को तज कर,
अनजाने प्रेम में पड़ जाऊं।
दायित्वों से मुख मोड़ कर,
कंधे सिकोड़ मैं भाग जाऊं।
रोग, बुढ़ापा, मृत्यु
क्या इस जीवन का सत्य नहीं?
क्या प्रकृति में हर जीवन का
यही निश्चित गत नही?
फिर किस सत्य की खोज में भटकु
और क्यों बुद्ध मैं कहलाऊं?
नौ मास तक खून से सींचा,
उस मां का अधिकार नहीं
उंगली धर संसार सिखाया,
उस पिता से प्यार नहीं।
जिस युवती को ब्याह के लाया,
उसके बाबुल के घर से।
कई कल्पना कई स्वप्न हैं,
उसको भी इस उपवन से।
जहां खेलते मेरे दो बच्चे,
निर्बोध क्रीड़ा में परिहास करते हैं
मटमैले बचपन से अपने,
दादा की झुर्रियों को साफ करते हैं।
क्यों त्यागू मैं इस माया को
क्यों महात्मा कहलाऊं?
फिर किस सत्य की खोज में भटकु
और क्यों बुद्ध मैं कहलाऊं?
सुदूर गृह से सभी बुद्ध हैं,
अपना अपना ज्ञान लिए।
शहर शहर जो भटक रहे हैं,
स्मृतियों का शमशान लिए।
आह! बच्चे बड़े हो गए,
माता बैकुंठ गई, पिता वृद्ध हो गए।
जिस रमणी ने घर सजाया, प्रेम दिया,
चेहरा बुझ गया, नयन निस्तेज हो गए।
हर रोज़ की सांसों का
क्या चुकाया है मैने?
सब मिलता गया मुझे फिर भी,
पूछता हूं क्या पाया है मैंने?
मुझे ज्ञान है, जीवन यही है,
जीवन रस का मज़ा यही है।
तो क्यों शिकवा करूं किसी से,
क्यों क्षुब्ध मैं हो जाऊं?
फिर किस सत्य की खोज में भटकु
और क्यों बुद्ध मैं कहलाऊं?

Language: Hindi
1 Like · 4 Comments · 776 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
उम्र तो गुजर जाती है..... मगर साहेब
उम्र तो गुजर जाती है..... मगर साहेब
shabina. Naaz
सरस्वती वंदना
सरस्वती वंदना
Satya Prakash Sharma
*चाटुकार*
*चाटुकार*
Dushyant Kumar
Why am I getting so perplexed ?
Why am I getting so perplexed ?
Chaahat
जल बचाकर
जल बचाकर
surenderpal vaidya
ग़ज़ल
ग़ज़ल
डाॅ. बिपिन पाण्डेय
" तारीफ़ "
Dr. Kishan tandon kranti
जज्बे से मिली जीत की राह....
जज्बे से मिली जीत की राह....
Nasib Sabharwal
बुढ़ापा अति दुखदाई (हास्य कुंडलिया)
बुढ़ापा अति दुखदाई (हास्य कुंडलिया)
Ravi Prakash
राखी का मोल🙏
राखी का मोल🙏
तारकेश्‍वर प्रसाद तरुण
खुद को पागल मान रहा हु
खुद को पागल मान रहा हु
भरत कुमार सोलंकी
वंशबेल
वंशबेल
Shiva Awasthi
सम्बन्ध
सम्बन्ध
Shaily
खोटा सिक्का....!?!
खोटा सिक्का....!?!
singh kunwar sarvendra vikram
तंबाकू की पुड़िया पर, लिखा है हर इक बात,
तंबाकू की पुड़िया पर, लिखा है हर इक बात,
पूर्वार्थ
ऐ भाई - दीपक नीलपदम्
ऐ भाई - दीपक नीलपदम्
दीपक नील पदम् { Deepak Kumar Srivastava "Neel Padam" }
बस में भीड़ भरे या भेड़। ड्राइवर को क्या फ़र्क़ पड़ता है। उसकी अप
बस में भीड़ भरे या भेड़। ड्राइवर को क्या फ़र्क़ पड़ता है। उसकी अप
*प्रणय*
यदि आपका चरित्र और कर्म श्रेष्ठ हैं, तो भविष्य आपका गुलाम हो
यदि आपका चरित्र और कर्म श्रेष्ठ हैं, तो भविष्य आपका गुलाम हो
Lokesh Sharma
धनतेरस की आप सभी को हार्दिक शुभकामनाएं
धनतेरस की आप सभी को हार्दिक शुभकामनाएं
Sonam Puneet Dubey
उदासियां बेवजह लिपटी रहती है मेरी तन्हाइयों से,
उदासियां बेवजह लिपटी रहती है मेरी तन्हाइयों से,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
मन हमेशा एक यात्रा में रहा
मन हमेशा एक यात्रा में रहा
Rituraj shivem verma
"लौटा दो मेरे दिल की क़िताब को यूँहीं बिना पढ़े"
Mamta Gupta
शिव आराधना
शिव आराधना
Kumud Srivastava
ग़ज़ल
ग़ज़ल
Mahendra Narayan
जिंदगी उधार की, रास्ते पर आ गई है
जिंदगी उधार की, रास्ते पर आ गई है
Smriti Singh
प्रेम, अनंत है
प्रेम, अनंत है
हिमांशु Kulshrestha
,,,,,,,,,,?
,,,,,,,,,,?
शेखर सिंह
हाशिये पर बैठे लोग
हाशिये पर बैठे लोग
Chitra Bisht
आप में आपका
आप में आपका
Dr fauzia Naseem shad
World Earth Day
World Earth Day
Tushar Jagawat
Loading...