क्यों बदल जाते हैं लोग
संग चलके दो कदम क्यों बदल जाते हैं लोग
इस तरह विश्वास को क्यों कुचल जाते हैं लोग
इस जहां में लोग अपनों पर करें कैसे यकीन
अपने ही तो प्यार अपनों का निगल जाते हैं लोग
ये मोहब्बत क्या है कोई आकर मुझको दे बता
देख कर क्यों हुस्न को यूँ ही फिसल जाते हैं लोग
कौन होगा किसका है यह जिंदगी भी बेवफा
क्यों वफा के नाम पर सबको छल जाते हैं लोग
कौन है अपना जहां में यह जहां है मतलबी
चेहरा छुपा कर वक्त आते ही निकल जाते हैं लोग
ढूँढ लेंगे हम ठिकाना इन तन्हाइयों के रास्ते
सोच कर कुछ इस तरह फिर सम्भल जाते हैं लोग
‘V9द’ जो ठोकर लगी सब समझ में आ गया
स्वार्थ के खातिर यूँ ऐसे रस्ता बदल जाते हैं लोग
स्वरचित
V9द चौहान