क्यों बदलना है जरूरी यह बता दो।
क्यों बदलना है ज़रूरी यह बता दो।
फिर बदल जाओ मुझे बेशक सज़ा दो।
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मैं रहूंगा तुम वहां जब तक रहोगे।
अंजुमन से तुम मुझे बेशक उठा दो।
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दे रहे तोहफ़ा अगर तारीकियों का।
तुम शमा को मेरे अश्कों से बुझा दो।
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जो मिले उसके लिए तैयार हूं मैं।
तुम मुझे आज़ार दे दो या शिफ़ा दो।
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फ़र्क क्या उसको जो भीतर मर चुका है।
बददुआएँ दो उसे या तुम दुआ दो।
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जितनी जल्दी ख़ाक हो जाऊं सुकूँ हो।
बेरूखी से अपने शोलों को हवा दो।
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चाहतों के फ़र्ज़ को तुम यूं चुका दो।
जाते जाते तुम ” नज़र ” बस मुस्करा दो।