क्यों तू पर्दे के पीछे!
क्यों तू पर्दे के पीछे रहता है। क्यों अपनी जिंदगी को कठिनतम बनाता है। हमेशा पर्दे के पीछे दौड़ लगाता रहता है। क्यों अपनी जिंदगी को टाइम पास बनाता है।मन की गहराइयों को,नापने की हर दम कोशिश में लगा रहता है।जाने कब जिंदगी का सूर्य अस्त हो जाये । क्यों नहीं जागता है,समय से कब राह में अंधेरा छा जाये। वक्त का इंतजार मत कर,समय को अपनी मुट्ठी में पकड़ ले।समय से समय का फायदा उठाले।मत कर,मत पड़ इन झूठे वादों में। विश्वास कर अपने आप पर, मजबूती हों इरादों में।