क्यों जिंदगी आसान नही होती क्यों इसके इतने चेहरे है ,
क्यों जिंदगी आसान नही होती
क्यों इसके इतने चेहरे है
क्यों हर चेहरे पर मुस्कान नही होती
हर कोई बस जिदगी की रेस में भागे जा रहा है
पता नही है फिर भी जाए जा रहा है
होड़ सी लगी है बस,
एक दूसरे से आगे पहुचने की
भले ही वो रास्ता गलत ही क्यों न जा रहा हो
खुश रहना तो लोग भूल ही गये है
सुना हैं मैंने की अब तो लोग,
खुश रहने के लिए क्लासे भी लेने लगे है
क्या खुश रहना इतना मुस्किल हो गया है
जरा सोचिये खुश रहने कि
हजारों वजाये मिल जायेगी
हजारों नही तो कम से कम एक तो मिल जाएगी
श्री रावत,,