क्यों चोरी डकैती गुनाह है !
जब शासन इतना लाचार हुआ,
बेसुध बेबस और बेकार हुआ।
रोजगार के कहीं अवसर नहीं,
रहने को भी रहा घर नहीं।
जब भूखे पेट सोते लोग यहां,
गरीबी जैसा बड़ा रोग यहां।
बेबस बचपन, बेसुध जवानी है,
दुखभरी सबकी यहां कहानी है।
जब पैसों की कमी से,
जाती है जान यहां।
आंखों की नमी से भी,
नही बचती आन यहां।
जब शिक्षा का कारोबार हुआ,
ज्ञान का नही रहा सरोकार यहां ।
जब डोनेशन से एडमिशन मिले,
कीमत से किस्मत के फूल खिले।
सरकारी अस्पतालों में दवाई नहीं,
बिना पहचान कोई सुनवाई नहीं।
राशन की दुकानों में जमाखोरी,
होती अब तो खुले आम चोरी।
कलेक्टर खुले आम पैसे खाता,
पटवारी घूस लेकर नाम चढ़ता।
तहसील का भी बुरा हाल है,
व्यवस्था पर उठा सवाल है।
फिर क्यों चोरी डकैती गुनाह है,
जब संविधान ही हुआ फना है।
चोर उचक्के अब तो नेता हुए,
सांसद सारे अब अभिनेता हुए।
क्यों कहते कानून का राज है,
जब न कोई गीत है, न साज है।
पुलिस वाले भी सब करप्ट हुए,
कीर्तिमान सारे ही ध्वस्त हुए।