क्यों ख़फ़ा हो गये
वफ़ा करके भी वो बेवफ़ा हो गए ।
सगे होकर भी हमसे ख़फ़ा हो गए।।
ज़ख्मों पर छिड़कते नमक जानकर,
तेज इतनी खलिश दर्द जवां हो गए ।
मां पिता से न बढ़कर सगा है कोई ,
उनके जाते ही हम बेजुबां हो गए।
दर्द है ऐसा मिला ज़ख्म गहरा हुआ,
वक्त है ऐसा मरहम दवा हो गए।
ख्वाब इतने हंसी जो थे देखे कभी ,
टूट कर वो ज़मीं से,आसमां हो गए।
कैसे होगा भला फिर किसी पर यकीं,
ख़ास अपने ही सब बदगुमां हो गए।
वक्त शातिर बड़ा इतना बलवान है,
कल था उजड़ा चमन,बागवां हो गए।