क्यों इतना मुश्किल है
किसी को भूल पाना , क्यों इतना मुश्किल है?
इश्क़ के खंजर से , बिस्मिल क्यों दिल है?
बसर हो जिनकी जिंदगी, चांदनी के साये में
ये तेज़ धूप तो ,उनके लिए क़ातिल है।
साफगोई तेरी,तेरे कुछ काम न आ सकेगी
सामना का शख्स, बहुत ही तंगदिल है।
भरोसा अपनी काबिलियत पर करें तो तू कैसे
मन तेरे का चोर ,बहुत ही नाकाबिल है।
आंखों में मै अपने नये सपने कैसे सजाऊ
अश्कों के बोझ से,आंखें तो बोझिल है।
सुरिंदर कौर