“क्योंकि हरेक पति की एक कहानी है ,
“क्योंकि हरेक पति की एक कहानी है ,
घर पर ना चलनी उसकी , श्रीमती ही गृहमन्त्राणी है ,
की मैं रोज़ भूल जाता हूँ उनके आदेश ,
खूब सुनता हूँ पर , हर घर की यही कहानी है l
कभी भूलता हूँ सब्ज़ी, कभी राशन मैं भूल जाता हूँ ,
याद रखने की करता कोशिश , आदेश मैं भूल जाता हूँ ,
सुनता हूँ रोज़ भर भर के ताने मैं दिल से ,
प्यार करता हूँ इतना , की यह ताने भी मैं भूल जाता हूँ l”
नीरज कुमार सोनी
“जय श्री महाकाल”