क्यू करती है इतना एतबार
तेरे चेहरे में यह जो खुमार है ,
जो पीटी हुई ललकार है ,
क्यू करती हैं इतना एतबार ,
परत पर परत सिर्फ झुर्रियों का डर है ।
यू बिक गए तेरे आशिक तेरे हुस्ने -ए- सार पर ,
थम सी गई तेरी रौनक़ यू बढ़ते बाजार में ,
क्यू करती हैं इतना एतबार ,
परत पर परत सिर्फ झुर्रियों का डर हैं ।
~rohit