!! क्यूं , लगूं मैं बूढ़ा !!
तन से इंसान बूढा हो जाए तो
लोग उस को बूढा कहने लगते हैं
सच है यह, कि वो बूढा हो चला है
पर सच तो यह भी है ,
कि वो बूढे नहीं लगते हैं !!
हर पल अगर दिल जवान है
तो हर चीज उस की गुलाम है
नहीं बाँध सकती तन की जंजीरे
गर दिल में बाकी अरमान हैं !!
चिंता चिता का घर बनकर
घेर लेती उस के अरमान हैं
खुश अगर रखोगे दिल को
चिता भी चल देगी खुद शमशान में !!
रोते हुए आते सब को देखा है
पर क्यूं रोते हुए जग से जाना है
गर दिल को खुश रखा जिन्दगी भर
तो बस सारा होगा अपना ज़माना रे !!
भूल जाओ सब भविष्य की
वर्तमान में जिन्दगी गुजार लो
न पहले कुछ अपना था, न आगे होगा
आने वाले तूफ़ान को बस, यहीं पर रोक दो !!
अजीत कुमार तलवार
मेरठ