क्यूं प्यार को तरसा रही है
दिल से ये आवाज
बार बार आ रही है
जितना मै तुझे चाह रहा हूं
उससे ज्यादा तू मुझे चाह रही है ।
मेरी आंखें तेरी आंखों से
बार बार टकरा रही हैं
जीने की साथ साथ
तमन्ना बयान कर रही हैं ।
दिल की बातें जुबान पर आकर
बार बार लड़खड़ा रही हैं
बनाने को तुझे अपना
बेकरार धड़कने कर रही हैं ।
जी ले जिन्दगी के हसीन पलों को
बार बार क्यूं शरमा रही है
पार कर ले सब हदें
प्यार को अपने कयूं तरसा रही है ।।
राज विग