क्यूं न समझें वो,
आंखों से निकले आंसू ,
दिल मैरा बेहाल हुआं,।
चलने को तो था मैं मंज़ूर,
रस्ता देख बेहाल हुआं,।
मंज़िल तेरी मैरी एक थी,
चलने को तेरे साथ हुआं,।
तेरी खात़िर छोड़ा ज़माना,
तेरे लिए ही बर्बाद हुआं,।
झेला मैंने इस आडम्बर को,
तेरे लिए ही मैरा त्याग हुआं,।
फिर भी कहती तूं मुझसे,
मैंरे लिए तूं क्या खास हुआं,।
दिल रोता हैं आज ऐ सुनकर,
न तुझे कुछ एहसास हुआं,।
करके विचार अब मैं बैठा हूं,
तुझ पर किसको विश्वास हुआं,।
दुआ हैं मैरी खुश रहें तूं,
तेरे जैसा न कोई दिल के पास हुआ,।
आंखों से निकले आंसू ,
दिल मैरा बेहाल हुआं,।।
लेखक–Jayvind Singh Ngariya Ji