क्यूं ना थोड़ा अलग “प्रेम” करें
क्यूं ना थोड़ा अलग “प्रेम” करें
एक-दूसरे की चाह न करके,
एक-दूसरे की प्रतीक्षा करें
क्यूं ना थोड़ा अलग प्रेम करें।।
एक-दूसरे पर अधिकार न जताकर
एक-दूसरे को स्वतंत्र करें
क्यूं ना थोड़ा अलग प्रेम करें।।
एक-दूसरे के हमसफ़र न बन कर,
एक-दूसरे का सफ़र में साथ दें
क्यूं ना थोड़ा अलग प्रेम करें।।
एक-दूसरे को किसी रिश्तें में न बांधकर,
एक-दूसरे को हर रिश्तें से आजाद करें
क्यूं ना थोड़ा अलग प्रेम करें।।
एक-दूसरे को ख़ुशी की सलाह न देकर,
एक-दूसरे की ख़ुशी की वजह बने
क्यूं ना थोड़ा अलग प्रेम करें।।
एक-दूसरे के राजदार न बनकर,
एक-दूसरे के सलाहकार बने
क्यूं ना थोड़ा अलग प्रेम करें।।
एक-दूसरे की समझदारी को भूल कर,
एक-दूसरे की नादानियों से बात करें
क्यूं ना थोड़ा अलग प्रेम करें।
दीपाली कालरा