*** क्यूं किससे ***
मायूस हो हम फुर्कत-ए-इश्क में रोए
तुम सोचोगे खदीन ख़्वाब लेकर हम रोए
आरजू-ए-ख्वाहिश इब्तिदा-इश्क करने
हम तो आफ़ताब-ए-ख़ुदा पाने को रोए
?मधुप बैरागी
राज-ए-मुहब्बत अब छुपाएं किससे
दुनियां को एतराज़ क्यूं है किससे
खुल चुके हैं राज़ ये पहले से सभी
मौजूदगी देख यहां जलन क्यूं किससे।।
?मधुप बैरागी