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14 Jun 2019 · 1 min read

क्यूँ?

मिलना नही तो ख्वाब मे आना क्यूँ?
बेदाग चेहरे को इतना छुपाना क्यूँ ?

जल रहा है पूरा शहर उस आग से,
अपना भी ना बचा तो पछताना क्यूँ ?

जब हो चुके है जिस्म एक कभी के,
तो अधरों के मिलाने से शर्माना क्यूँ ?

उसका ख्वाब था आसमां की सैर का,
अब वो उड़ गया तो पछताना क्यूँ ?

अपनो ने दिए जख्म गहरे कई बार,
गैरों ने दिए तो फिर घबड़ाना क्यूँ ?

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