क्यूँ?
मिलना नही तो ख्वाब मे आना क्यूँ?
बेदाग चेहरे को इतना छुपाना क्यूँ ?
जल रहा है पूरा शहर उस आग से,
अपना भी ना बचा तो पछताना क्यूँ ?
जब हो चुके है जिस्म एक कभी के,
तो अधरों के मिलाने से शर्माना क्यूँ ?
उसका ख्वाब था आसमां की सैर का,
अब वो उड़ गया तो पछताना क्यूँ ?
अपनो ने दिए जख्म गहरे कई बार,
गैरों ने दिए तो फिर घबड़ाना क्यूँ ?